इलाहाबाद हाईकोर्ट की यूपी गैंगस्‍टर एक्‍ट को लेकर बड़ी टिप्‍पणी 
5 months ago |


नई दिल्‍ली :

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में गैंगस्टर एक्‍ट से जुड़े मामले में सुनवाई के दौरान बड़ी टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सरकारी अधिकारियों को उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना यूपी गैंगस्टर अधिनियम लागू करने को लेकर फटकार लगाई और तीखी आलोचना की है. हाईकोर्ट ने शुक्रवारको चिंता जताते हुए उत्पीड़न पर रोक लगाने पर जोर दिया है और कहा कि इस तरह की कार्रवाई बड़े पाप के समान है. साथ ही धार्मिक ग्रंथों का हवाला देते हुए गैंगस्टर एक्‍ट की कार्रवाई पर कहा कि निर्दोष व्यक्तियों पर गैंगस्टर लगाकर उनका उत्पीड़न किया जा रहा है. कोर्ट ने कहा  कि सरकार के अधिकारी कई मामलों में बिना उचित प्रक्रिया का पालन किए गैंगस्टर अधिनियम लागू कर देते हैं.  

जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की डबल बेंच ने महोबा के अब्दुल लतीफ, इटावा के हेतराम मित्तल और तस्लीम, बिजनौर के रितिक, मैनपुरी के अनूप उर्फ अनूज की ओर से दाखिल पांच अलग-अलग आपराधिक याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई की. अपने आदेश में हाईकोर्ट ने कहा कि कई मामलों में यह पाया गया है कि गैंगस्टर अधिनियम के तहत सक्षम प्राधिकारी गैंग चार्ट तैयार करने में यूपी गैंगस्टर और असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) नियम, 2021 द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन ठीक से नहीं कर रहे हैं, जो अपराधियों पर गैंगस्टर अधिनियम लागू करने का पहला चरण होता है. कोर्ट ने कहा कि राज्‍य के सभी अधिकारियों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है, लेकिन यह सच है कि उनमें से कई 2021 के नियमों द्वारा निर्धारित उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना गैंगस्टर अधिनियम लागू कर रहे है. हाईकोर्ट ने कहा कि किसी भी निर्दोष व्यक्ति को गैंगस्टर अधिनियम में गलत तरीके से न फंसाया जाए. 

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में धार्मिक ग्रंथों का दिया हवाला 

हाईकोर्ट ने माना है कि गैंगस्टर अधिनियम के साथ अन्य आपराधिक कानूनों के तहत तैयार किए गए प्रक्रियात्मक नियमों का उद्देश्य इस पुरानी कहावत पर परखा जाना चाहिए कि 99 आरोपियों को बरी किया जा सकता है, लेकिन एक निर्दोष व्यक्ति को दंडित नहीं किया जाना चाहिए. साथ ही हाईकोर्ट ने ऋग्वेद, बाइबिल और कुरान जैसे धार्मिक ग्रंथों का हवाला देते हुए कहा कि सभी धार्मिक ग्रंथ निर्दोष लोगों के उत्पीड़न पर रोक लगाते है. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में ऋग्वेद के मंडल-1, सूक्त-5 और वर्ग-10 की स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा की गई व्याख्या का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि “हे इन्द्र, तुम स्तुति के पात्र हो, कोई भी मनुष्य हमारे लोगों का अहित न करे, तुम पराक्रमी हो, हिंसा से दूर रहो.”

कोर्ट ने बाइबल का भी हवाला देते हुए कहा कि उसमें भी लिखा है कि  “झूठे आरोप से कोई लेना-देना न रखें और निर्दोष या ईमानदार व्यक्ति को मौत की सजा न दें, क्योंकि मैं दोषियों को बरी नहीं करूंगा.” साथ ही कोर्ट ने कुरान में लिखी आयत का भी हवाला दिया. 

दोषपूर्ण गैग चार्ज तैयार कर रहे अधिकारी : हाईकोर्ट 

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह अधिकारियों को प्रशिक्षण या क्रैश कोर्स के लिए भेजे ताकि वे निर्देशों के अनुसार गैंग चार्ट तैयार करना सीख सकें. खंडपीठ ने हाईकोर्ट के हाल के निर्णयों का हवाला दिया जिसमें राज्य सरकार के अधिकारियों को निर्देश दिया गया था कि गैंग चार्ट तैयार करते समय आरोप पत्र दाखिल करने की तारीख गैंग चार्ट के कॉलम 6 में अंकित की जानी चाहिए और सक्षम अधिकारी अपनी अपेक्षित संतुष्टि को स्पष्ट शब्दों में लिखकर दर्ज करें, न कि पहले से टाइप की गई संतुष्टि पर हस्ताक्षर करके. यह भी निर्देश दिया गया कि गैंग चार्ट को मंजूरी देने से पहले जिला मजिस्ट्रेट/पुलिस आयुक्त को जिला पुलिस प्रमुखों के साथ एक संयुक्त बैठक आयोजित करनी चाहिए ताकि गैंगस्टर अधिनियम लागू करने के लिए उपलब्ध चीजों पर चर्चा की जा सके. कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए साफ कहा कि सभी जिला मजिस्ट्रेटों और जिला पुलिस प्रमुखों को पूर्व-टाइप किए गए संतुष्टि पत्र पर हस्ताक्षर करने के बजाय गैंग चार्ट में अपनी अपेक्षित संतुष्टि दर्ज करने के लिए विशिष्ट निर्देश दिए गए थे, फिर भी कुछ अधिकारी अभी भी प्रक्रिया का पालन नहीं कर रहे थे और दोषपूर्ण गैंग चार्ट तैयार कर रहे हैं. 

याचिकाओं में गैंग चार्ट तैयार करने को दी गई थी चुनौती 

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये टिप्पणियां पांच व्यक्तियों द्वारा दायर पांच आपराधिक याचिकाओं को स्वीकार करते हुए की जिसमें उनके खिलाफ गैंग चार्ट तैयार करने को चुनौती दी गई है.  उन्होंने याचिका के माध्यम से तर्क दिया कि गैंग चार्ट 2021 के नियमों के अनुसार नहीं था. सभी याचिकाओं में यूपी गैंगस्टर्स और असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1986 के तहत पहली सूचना रिपोर्ट को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि सक्षम अधिकारियों ने अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया और नियम 2021 का उल्लंघन करते हुए गैंग चार्ट तैयार किए और साथ ही संबंधित एफआईआर के गैंग चार्ट तैयार करते समय हाईकोर्ट के कई निर्देशों का भी उल्लंघन किया. कोर्ट ने पाया कि संबंधित अधिकारियों ने गैंग चार्ट तैयार करते समय अपेक्षित संतुष्टि दर्ज नहीं की और कई अन्य खामियों के चलते सभी विवादित एफआईआर और गैंग चार्ट रद्द कर दिए गए.  

आदेश में सात बिंदुओं को किया रेखांकित 

हाईकोर्ट ने कहा कि प्रशिक्षण से एक ओर जहां गैंगस्टरों के गैंगस्टर अधिनियम के चंगुल से बच निकलने की संभावना कम हो जाएगी वहीं दूसरी ओर इससे उन निर्दोष व्यक्तियों को भी बचाया जा सकेगा जो केवल एक या दो छोटे-मोटे मामलों में शामिल होते है. 

कोर्ट ने निर्देश दिया है कि सभी एसपी, एसएसपी, पुलिस आयुक्त और जिला मजिस्ट्रेट और नोडल अधिकारी गैंग चार्ट पर हस्ताक्षर करते समय अपने हस्ताक्षर के नीचे तारीख का उल्लेख करेंगे. कोर्ट ने निर्देशों का पालन नहीं कर रहे अधिकारियों को सात बिंदुओं के अनुपालन के लिए सुझाव दिए. कोर्ट ने कहा कि कई पुलिस अधिकारी/जिला मजिस्ट्रेट अभी भी इस न्यायालय के विभिन्न निर्णयों द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन नहीं कर रहे है. कोर्ट ने अपने आदेश में कुल सात बिंदुओं को भी रेखांकित किया है. 

1. गैंग चार्ट को अनुमोदित करते समय सक्षम प्राधिकारियों को नियम 16 के अनुसार स्पष्ट शब्दों में लिखकर अपनी संतुष्टि दर्ज करनी चाहिए न कि केवल मुद्रित/पूर्व-टाइप की गई संतुष्टि पर हस्ताक्षर करके. 

2. सक्षम प्राधिकारियों की संतुष्टि यह दर्शानी चाहिए कि उन्होंने न केवल गैंग चार्ट पर बल्कि गैंग चार्ट के साथ संलग्न दस्तावेजों/प्रपत्रों पर भी अपना दिमाग लगाया है. 

3. आरोप पत्र दाखिल करने की तारीख का उल्लेख गैंग चार्ट के कॉलम-6 में किया जाना चाहिए, सिवाय नियम 22 (2) के तहत मामलों को छोड़कर, जहां जांच के दौरान गैंगस्टर अधिनियम लगाया जा सकता है. 

4. गैंग चार्ट को मंजूरी देने से पहले जिला मजिस्ट्रेट को नियम- 2021 के नियम 5(3)(ए) के अनुसार जिला पुलिस प्रमुख के साथ एक संयुक्त बैठक में गैंगस्टर्स एक्ट लागू करने के लिए उचित चर्चा करनी चाहिए और बैठक के कार्यवृत्त/संकल्पों को उस उद्देश्य के लिए बनाए गए रजिस्टर में दर्ज करना चाहिए. यदि आवश्यक हो तो उस रजिस्टर को न्यायालय को उसके अवलोकन के लिए उपलब्ध कराया जाना चाहिए.

5. अपनी संतुष्टि पर हस्ताक्षर करते समय सक्षम प्राधिकारी (जिला पुलिस प्रमुख, जिला मजिस्ट्रेट और नोडल अधिकारी) को अपने हस्ताक्षर के ठीक नीचे तारीख का उल्लेख करना चाहिए.

6. गैंग चार्ट को मंजूरी देते समय जिला मजिस्ट्रेट/पुलिस आयुक्त को यह भी सत्यापित करना चाहिए कि क्या नोडल अधिकारी और जिला पुलिस प्रमुख ने नियम- 2021 के साथ-साथ उच्च न्यायालय द्वारा कई निर्णयों में जारी निर्देशों के अनुसरण में राज्य सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार अपनी संतुष्टि ठीक से दर्ज की है. 

7. गैंगस्टर अधिनियम लागू करने से पहले, सक्षम अधिकारियों को यह संतुष्टि भी दर्ज करनी चाहिए कि आधार मामले/मामलों का अपराध ऐसे व्यक्ति द्वारा किया गया है जो गैंगस्टर अधिनियम की धारा 2(सी) के अनुसार “गैंगस्टर” की परिभाषा के अंतर्गत आता है और ऐसी संतुष्टि के लिए सामग्री होनी चाहिए. नियम- 2021 के नियम 5(3)(ए) के अनुसार आयोजित संयुक्त बैठक के मिनटों में इस संतुष्टि का उल्लेख किया जाना चाहिए.