लोकसभा में संविधान दिखा रहे विपक्ष के लिए BJP का प्लान तैयार!
6 months ago |

कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों के नेता 18वीं लोकसभा के संसद सत्र के पहले दिन सदन में संविधान की प्रति लेकर पहुंचे थे. लोकसभा चुनाव प्रचार में संविधान बचाओ का नारा लगाने वाले विपक्षी सदन के पहले दिन फ्रंटफुट पर नजर आ रहे थे. लेकिन आज इमरजेंसी के मुद्दे पर बीजेपी, कांग्रेस को घेरती नजर आ रही है. आपातकाल की आज बरसी है. आज ही के दिन 25 जून, 1975 की देर रात तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाने की घोषणा की थी. बीजेपी आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर लगातार हमला करती रही है. ऐसे में संविधान दिखा रहे विपक्ष को आज बीजेपी ने घेरने की पूरी प्‍लानिंग कर ली है.

इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने संसद परिसर में सोमवार सुबह मीडिया को संबोधित करते हुए आपातकाल को भारत के संसदीय इतिहास पर ऐसा काला धब्बा करार दिया, जब संविधान को पूरी तरह नकार दिया गया था और देश को जेलखाना बना दिया गया था. कांग्रेस नेता संसद सत्र के पहले दिन सोमवार को सदन में संविधान की प्रति लेकर पहुंचे थे. लोकसभा चुनाव में भी राहुल गांधी समेत सभी कांग्रेसी नेताओं ने ये प्रचार किया था कि बीजेपी संविधान बदलना चाहती है. ऐसे में आज संविधान और आपातकाल का मुद्दे संसद से सड़क तक सुनाई दे सकता है.

PM मोदी ने कांग्रेस को घेरा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को घेरते हुए इमरजेंसी के मुद्दे पर ट्वीट किया, “आज का दिन उन सभी महान पुरुषों और महिलाओं को श्रद्धांजलि देने का दिन है जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया. #DarkDaysOfEmergency हमें याद दिलाती है कि कैसे कांग्रेस पार्टी ने बुनियादी स्वतंत्रता को नष्ट कर दिया और भारत के संविधान को कुचल दिया, जिसका हर भारतीय बहुत सम्मान करता है.”

आपातकाल की कहानी…

देश में आपातकाल लगाने की घोषणा तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून, 1975 की देर रात आकाशवाणी पर एक प्रसारण में की थी. इससे कुछ घंटों पहले, सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा सदस्य के रूप में इंदिरा गांधी के निर्वाचन को अमान्य घोषित करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर सशर्त रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा गांधी से कहा था कि वह संसदीय कार्यवाही से दूर रहें. हालांकि, उन्‍होंने कुछ और ही सोच रखा था. देश में 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक की 21 महीने की अवधि के लिए आपातकाल लागू था. तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत देश में आपातकाल की घोषणा की थी. संविधान के अनुच्छेद 352 के अनुसार, राष्ट्रपति देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा-चाहे वह युद्ध या बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह से हो- होने पर आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं.

PM मोदी ने 25 जून को बताया लोकतंत्र पर ‘काला धब्‍बा’

प्रधानमंत्री मोदी ने आपातकाल को लोकतंत्र पर लगा ‘काला धब्बा’ करार देते हुए सोमवार को कहा कि इसकी 50वीं बरसी के मौके पर देशवासी यह संकल्प लें कि भारत में फिर कभी कोई ऐसा कदम उठाने की हिम्मत नहीं करेगा. 18वीं लोकसभा के पहले सत्र की शुरुआत के अवसर पर संसद परिसर में मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने यह बात कही. उन्होंने कहा, “कल 25 जून है, जो लोग इस देश के संविधान की गरिमा के प्रति समर्पित है, जो लोग भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं पर निष्ठा रखते हैं… उनके लिए 25 जून ना भूलने वाला दिवस है. कल 25 जून को भारत के लोकतंत्र पर जो काला धब्बा लगा था, उसके 50 वर्ष हो रहे हैं.” प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की नयी पीढ़ी इस बात को कभी नहीं भूलेगी कि उस समय कैसे देश के संविधान को पूरी तरह नकार दिया गया था, देश को जेल खाना बना दिया गया था और लोकतंत्र को पूरी तरह दबोच दिया गया था.

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आपातकाल की बरसी पर BJP का राष्‍ट्रव्‍यापी कार्यक्रम 

भाजपा ने सोमवार को कहा कि वह कांग्रेस की तानाशाही और संविधान के प्रति उसकी सोच का ‘पर्दाफाश’ करने के लिए 1975 के आपातकाल की बरसी के मौके पर एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम शुरू करेगी. भाजपा के मुख्य प्रवक्ता अनिल बलूनी ने एक बयान में कहा कि पार्टी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा मंगलवार को पार्टी मुख्यालय में ‘लोकतंत्र के काले दिन’ शीर्षक वाले मुख्य कार्यक्रम को संबोधित करेंगे. अनिल बलूनी ने कहा, “आपातकाल भारत के महान लोकतंत्र का एक काला अध्याय है जिसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकता. देश में लोकतंत्र का गला घोंटते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को देश पर ‘आपातकाल’ थोप दिया था.” इसके अलावा राज्‍य स्‍तर पर भी बीजेपी ने अलग-अलग कार्यक्रम 25 जून को करने की योजना बनाई है. 
(भाषा इनपुट के साथ…)

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