नई दिल्ली:
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने कहा है कि एक दशक पहले कांग्रेस के सत्ता से बाहर होने के बाद से राज्य में गिरावट जारी है. उन्होंने NDTV को दिए एक खास इंटरव्यू में कहा कि कांग्रेस ने प्रति व्यक्ति आय, निवेश, रोजगार, कानून व्यवस्था और खेल के क्षेत्र में हरियाणा को नंबर वन पर छोड़ा था.”
उन्होंने कहा कि, अब हरियाणा बेरोजगारी के मामले में नंबर वन है. कानून व्यवस्था उनके हाथ से निकल रही है. सोशल प्रोग्रेसिव इंडेक्स ने हरियाणा को असुरक्षित राज्य घोषित किया है. देश का नाम और शोहरत हासिल करने वाली हमारी महिला पहलवानों की टीम जंतर-मंतर पर धरने पर बैठी है और अभी भी उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है. किसान और सरकारी कर्मचारी, “सभी विरोध के मोड पर हैं.”
सरकारी कर्मचारियों की पेंशन के बारे में उन्होंने कहा कि केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार को पुरानी पेंशन योजना को वापस लागू कर देना चाहिए था, जो कि 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा लाई गई नई पेंशन योजना से पहले लागू थी.
जब उनसे पूछा गया कि क्या वह सरकार द्वारा लाई जा रही नई यूपीएस योजना का स्वागत करते हैं? तो उनका जवाब जोरदार था. उन्होंने कहा कि, “उन्हें ओपीएस को अपनाना चाहिए था.” इसका वादा कांग्रेस ने हरियाणा के लोगों से किया है.
इस चुनाव में दूसरा बड़ा मुद्दा किसानों का है, जो राज्य में सबसे बड़ा मतदाता वर्ग है. पिछली बार दुष्यंत चौटाला की नई पार्टी जननायक जनता पार्टी (JJP) ने 14 प्रतिशत वोट हासिल किए थे और कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाते हुए 10 सीटें जीती थीं. लेकिन उसके बाद से पार्टी को किसानों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है.
लोकसभा चुनाव में जेजेपी एक भी सीट नहीं जीत पाई. पार्टी ने इसके लिए बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर को जिम्मेदार ठहराया है, जिसके साथ उसकी साझेदारी खत्म हो गई है. हुड्डा ने संकेत दिया कि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है.
हुड्डा ने कहा, “2014 में बीजेपी ने वादा किया था कि वे 2022 तक किसानों की आय दोगुनी कर देंगे, लेकिन क्या हुआ? किसानों की आय दोगुनी नहीं हुई है. लेकिन इनपुट की लागत कई गुना बढ़ गई है.” उदाहरण के तौर पर, उन्होंने डीजल, उर्वरक और कीटनाशकों की लागत का हवाला दिया.
हरियाणा में एक अक्टूबर को एक ही चरण में विधानसभा चुनाव होंगे. वोटों की गिनती 4 अक्टूबर को होगी. सन 2019 में बीजेपी ने राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से 40 पर जीत हासिल की थी और जेजेपी के साथ सरकार बनाई थी, जिसने 10 सीटें जीती थीं. कांग्रेस ने 31 सीटें जीती थीं.
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